STORY WITH MORAL IN HINDI
हीरे का व्यापारी
story with moral in hindi, hindi story, एक गांव में एक हीरे का व्यापारी रहता था वह व्यापारी हीरे को बहुत अच्छी तरह से पहचान सकता था और उसका मोल भाव भी बहुत अच्छी तरह करता था सभी लोग उस व्यापारी के पास आया करते थे और तरह-तरह के अपने गहने बनवाया करते थे.
व्यापारी अपने दिमाग से भी बहुत तेज था वह किसी भी हीरे को बड़ी आसानी से पहचान सकता था क्योंकि हीरे को पहचाना लगभग लोगों के लिए नामुमकिन काम है लेकिन वह यह काम को बड़ी आसानी से पहचान कर उसकी कीमत को बता दिया करता था
एक दिन हीरे के व्यापारी की तबीयत अचानक खराब हो गई है और वह अपनी पत्नी से बोलने लगा कि शायद मेरा अभी अंतिम समय आ गया है तुम ऐसा करना है कि अपने खर्चे के लिए इन हीरो में से बेचकर कुछ रुपया ले लेना जिससे तुम्हारा अपना घर चल जाए और
व्यापारी अपने दिमाग से भी बहुत तेज था वह किसी भी हीरे को बड़ी आसानी से पहचान सकता था क्योंकि हीरे को पहचाना लगभग लोगों के लिए नामुमकिन काम है लेकिन वह यह काम को बड़ी आसानी से पहचान कर उसकी कीमत को बता दिया करता था
एक दिन हीरे के व्यापारी की तबीयत अचानक खराब हो गई है और वह अपनी पत्नी से बोलने लगा कि शायद मेरा अभी अंतिम समय आ गया है तुम ऐसा करना है कि अपने खर्चे के लिए इन हीरो में से बेचकर कुछ रुपया ले लेना जिससे तुम्हारा अपना घर चल जाए और
इस प्रकार व्यापारी एक दिन इस दुनिया को छोड़ कर चला गया हीरे के व्यापारी की पत्नी को बिल्कुल भी ज्ञान नहीं था कि हीरे की कितनी कीमत हो सकती है फिर कुछ दिनों के बाद हीरे के व्यापारी के पत्नी बाजार में गई और उसे एक आदमी मिला
और उसने उससे पूछा कि इसकी कीमत मुझे कहां मिल सकती है तो वह आदमी बताने लगा कि मुझे नहीं पता कि इस पत्थर की क्या कीमत हो सकती है जब काफी दिन बीत गए वह एक व्यापारी की पत्नी को घूमते घूमते काफी समय हो गया था
व्यापारी की पत्नी लोहे बनाने वाले के यहां चली गई और उसने कहा कि इसकी क्या कीमत दे सकते हो उसने कहा कि यह किसी भी काम का नहीं है यह तो सिर्फ एक पत्थर है इसे चाहे तो तुम फेंक दो लेकिन इसकी कोई कीमत तुम्हें नहीं मिलेगी
व्यापारी की पत्नी थोड़ी उदास हुई उसे लगा कि अब क्या होगा हमारा क्योंकि उनके पति तो सिर्फ उनके लिए यही छोड़ गए थे और इस तरह कुछ दिन और बीतने के बाद वह एक सुनार के पास गई सुनार ने कहा कि इसकी तो बहुत ज्यादा कीमत है और मैं इसकी कीमत तुम्हें नहीं दे सकता क्योंकि हीरे बहुत ही अनमोल है
story with moral in hindi, hindi story, और इसकी कीमत देना लगभग नामुमकिन है फिर व्यापारी की पत्नी को समझ में आ गया कि उसके पति उसके पीछे करोड़ो की संपत्ति छोड़कर गए हैं यानी कि उन्हें किसी के आगे हाथ नहीं चलाना पड़ेगा.
written by vaibhav singh
FULL STORY IN HINDI
राजमहल की हिंदी कहानी (FULL STORY IN HINDI) आपको जरूर पसंद आएगी इस कहानी में आपको राजमहल में होने वाली घटनाओ के बारे में जानकारी प्राप्त होगी,
राजमहल की हिंदी कहानी : FULL STORY IN HINDI
एक मुसाफिर अपना रास्ता भटक चुका था, मुसाफिर को कुछ पता नहीं चला था की उसका घोडा किस दिशा में जा रहा था क्योकि उसे अपने घोड़े पर बैठे हुए नींद आ चुकी थी जब उसकी आँखे खुली तो उसने देखा की घोडा पता नहीं कहा आ गया है यहां तो दूर तक फैला हुआ जंगल नज़र आ रहा है, इस रस्ते पर चलना बहुत मुश्किल था क्योकि जंगल से बहार निकल थोड़ा मुश्किल था लेकिन बहार तो जाना ही था,
मुसाफिर ने देखा की अब रात होने वाली है उसे अपने सोने का इंतजाम भी करना था और अपने आपको सुरक्षित भी करना था, यहां पर जंगली जानवर भी हो सकते है और उनसे बचना भी जरुरी था चारो और नज़र घूमने पर भी नज़र नहीं आ रहा था कोई ऐसी जगह मिल जाती तो बहुत अच्छा था थोड़ा आगे चलकर पता करना चाहिए, जब मुसाफिर आगे बढ़ा तो उसे एक गुफा नज़र आयी थी यह गुफा उसके लिए सुरक्षित हो सकती है अगर उसमे कोई जानवर न हो तो,
मुसाफिर आगे बढ़ा और देखा की गुफा के अंदर तो कोई नहीं है लेकिन इससे पहले उसे यह भी खतरा था की अगर कोई शेर या भालू अंदर हुआ तो वह हमला कर सकता है, इसलिए उसने गुफा के अंदर एक पत्थर फेंका और देखा की कोई बहार आता है या नहीं या किसी जानवर की आवाज आती है या नहीं, लेकिन कुछ भी नहीं था ऐसा लग रहा था की कोई भी अंदर नहीं है उसने अपना घोडा उस गुफा में ले जाना ही ठीक समझा था, वह घोड़े सहित अंदर चला गया था और आग जलाई,
कुछ देर बाद ही बारिश की बुँदे भी आनी शरू हो गयी थी, बारिश हलके से शरूर होकर तेज होने लगी थी मुसाफिर को आज नींद नहीं आने वाली थी, उसने गुफा के द्वार पर बहुत सारे पत्थर लगा दिए थे जिससे कोई भी जानवर अंदर न आ जाए, बारिश के साथ तेज हवा से जंगल में बहुत डर लग रहा था जंगल देखने में बहुत खूबसूरत लगते है मगर ऐसा नहीं है जंगल की खामोशी ही सबको द्र सकती है बारिश की आवाज से भी जंगल में डर लगता है,
मुसाफिर आज रात सो भी नहीं पा रहा था कल सुबह होते ही उसे यहां से निकलने का रास्ता खोजना होगा, यह सब इस घोड़े की वजह से हुआ है यह पता नहीं किस दिशा में ले गया था आज इसकी वजह से हम आज फंस चुके थे, पता नहीं कल किस तरफ जाए की सही रास्ता मिल जाए, बारिश हल्की नहीं हो रही थी, जंगल में बारिश हो ही जाती है यह वहा के वातावरण के अनुसार होता है, मुसाफिर सोने की कोशिश में था और उसे हलकी नींद भी आ गयी थी,
जब सुबह हुई तो सूरज निकल चुका था मौसम साफ़ नज़र आ रहा था, रात बीत चुकी थी अब मुसाफिर चलने को त्यार था कुछ मीठे फल खाकर आगे बढ़ने लगा और बहार जाने का रास्ता खोजने लगा था मगर कुछ भी नज़र नहीं आ रहा था पेड़ पर चढ़कर रस्ते को देखने के लिए सोच रहा था तभी जब पेड़ पर चढ़ा तो उसे रास्ता नज़र आया और उस तरफ वह आगे बढ़ने लगा था कुछ दुरी पर पहुंचा तो एक बहुत ही पुराना महल नज़र आया, यह कैसे हो सकता है की इस जगह पर एक महल हो, चलकर देखना चाहिए की इसमें क्या है,
मुसाफिर अंदर जाता है महल को देखकर ऐसा लगता है की यहां पर कोई भी बहुत साल से आया नहीं है काफी जगहों से टुटा हुआ नज़र आ रहा था कुछ दीवारे भी नहीं थी लेकिन एक बात बहुत गौर करने की थी की दीवारों पर कुछ शीशे लगे हुए थे हो सकता है की यह शीशे किसी को बहुत पसंद होंगे कोई भी शिक्षा टुटा हुआ नहीं था जबकि ऐसा होना मुमकिन नहीं है जब सभी जगह पर टूट-फुट हुई है तो यहां पर शीशे कैसे बच गए है,
मुसाफिर आगे बढ़ा तो एक कमरा उसे नज़र आया था यह क्या है और इसमें क्या हो सकता है वह देखने के लिए गया और उस कमरे में भी शीशे लगे हुए थे, वह अपने आप को शीशे में देखने लगा तो एक शीशा बोला की तुम बहुत अच्छे इंसान हो और सबकी मदद करते हो, मुसाफिर को उस शीशे में से आवाज सुनाई दी, वह आवाज सुनकर डर गया था, मगर कोई दिखाई नहीं दिया था यहां पर आवाज क्यों आ रही है तभी सभी शीशे बोलने लगे की आज बहुत साल के बाद कोई इंसान आया है
मुसाफिर यह आवाज सुनकर बहुत डर गया था उसे वहा से जाना था वह जाने लगा तो एक शीशा बोला की में यहां पर बहुत समय से कैद में हु मुझे यहां से ले चलो, मुझे बाकी शिशो ने यहां पर बंद कर दिया है, मुझे यहां से बचाओ मुसाफिर बोला की में तुम्हे क्या बचाऊ मुझे ही बचना चाहिए, वह उनसे बचने के लिए बहार की और भागा, और वह महल से बहार आ गया था
जब वह बहार आया तो मौसम बहुत खराब हो गया था कुछ भी नज़र नहीं आ रहा था चारो और काले बदल छा गए थे, ऐसा लगता था की रात हो गयी है और बरसिह बहुत तेज आने वाली है अब कोई भी रास्ता नज़र नहीं आ रहा था और मूसलाधार बारिश शुरू हो गयी थी मुसाफिर अंदर नहीं जाना चाहता था मगर कोई और रास्ता भी नहीं था, क्या करे उसे अंदर जाना ही पड़ा था मगर उसका डर अभी भी बरकरार था वह जनता था की अंदर कोई है जो उसे बुलाना चाहता है इसलिए वह अंदर नहीं गया था बल्कि बहार ही इंतज़ार कर रहा था
तभी अंदर से आवाज आयी की मुसाफिर अंदर आ जाओ नहीं तो बारिश का पानी तुम्हे भीगा सकता है मुसाफिर उस आवाज से बहुत डर रहा था मुसाफिर के मन में यह बात थी की अगर वह भी अंदर गया तो उसे भी वह शीशा बंद कर देगा और इसी डर से वह बहार ही खड़ा रहा और बारिश का रुकने के लिए इंतज़ार करने लगा था लेकिन बारिश अभी कहा रुकने वाली थी
Written by vaibhav singh